IT Bill 2022

क्या है IT Bill 2022, 

हाल ही में दूरसंचार मंत्री अश्वनी वैष्णव द्वारा Indian telecommunication bill 2022 का मसौदा पेश किया गया। जिसे जन सामान्य के सुझावों हेतु public domain में रखा गया है। जिससे संबंधित सुझाव एवम् विचार आप गवर्नमेंट मेल Naveen.kumar71@gov.in के माध्यम से 20 अक्टूबर 2022 तक मेल कर सकते हैं। 

क्यों पड़ी जरूरत:- 

1) भारत में इंटरनेट के लगभग 117 करोड़ सब्सक्राइबर्स हैं। 
2) भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा telecommunication Ecosystem है।
3) IT sector हमारी जीडीपी में 8% योगदान देता है और इसके साथ ही लगभग 40 लाख की आबादी सीधे तौर पर रोजगार प्राप्त करती है।

अतः भारत के आर्थिक विकास में सहायक तकनीक को सरकार द्वारा रेगूलेट करने के प्रयास को लेकर सरकार का कहना है की एक ओर जहां देश आई टी सेक्टर में आगे बढ़ते हुए 5G स्पेक्ट्रम लाने की पूरी तैयारी कर चुका है। वहीं दूसरी ओर देश की telecommunication authority अब भी देश की आज़ादी के समय और उससे भी पूर्व के बने कानूनों पर काम कर रही है। जिससे देश में इंटरनेट के बढ़ते प्रयोगों से उनसे होने वाले क्राइम एवम् नियम कायदों संबंधित कानून नहीं हैं, या नाम मात्र वैल्यू के रह गए हैं। अब तो टेलीग्राफ की जगह मोबाइल्स ने भी ले ली, किंतु नियम टेलीग्राफ के लिए ही बने हुए हैं। ऐसे में यह जरूरी है की देश में इतने पुराने बिल पर संशोधन कर आई टी सेक्टर हेतु नए कानून बनाएं जाएं। 

कानून जिनके तहत अब तक कार्य होता रहा है:-
1) Indian Telegraph Act 1885
2) Indian। Wireless Telegraphy Act 1933
3) The Telegraph wires (unlawful protection) Act 1950

क्या होंगे बदलाव:-

इस बिल का मसौदा आई टी कानूनों में मूलभूत परिवर्तन लाने हेतु यूनाइटेड नेशंस जैसे ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, यूके, जापान, USA जैसे देशों का अध्ययन करके तैयार किया गया है।

आईटी सेक्टर में ऐसे बिल की आवश्यकता है जो minimum हो पर उसका रेगुलेशन इफेक्टिव हो और उसकी regulatory sertain हो।

इस बिल के अनुसार OTT संचार सेवाओं को शामिल करने की बात जिसमें whatsapp, zoom, Signal, telegram शामिल हैं।

OTT संचार सेवाओं को भी अब जियो, एयरटेल जैसी कंपनियों की तरह लाइसेंस व्यवस्था के तहत अब लाइसेंस की आवश्यकता होगी।

बिल में Trai (telecom regulatory authority of India) का काम अब केवल सलाह देने तक करके उसकी शक्ति को कमजोर कर दिया गया है।

इस बिल में टेलीकॉम प्रोवाइडर्स को राहत दी गई है, जिसके अनुसार यदि वे अपना काम ठीक ढंग से नहीं चला पा रहे हों तो ऐसी स्थिति में वे अपना खरीदा स्पेक्ट्रम वापस कर सकेंगे जिसे किसी अन्य जो इसे चलाना चाहे द्वारा खरीदा जा सकेगा।

टेलीकॉम प्रोवाइडर्स के through सरकार सर्विसेज का 5% हिस्सा Universal services obligation fund के नाम से लेती है, जिसका उपयोग केवल रुलर कनेक्टिविटी के क्षेत्र में ही होता था। ऐसे में USOF का नाम बदलकर अब Telecommunication Development Fund (TDF) कर दिया गया है जिसका उपयोग अब आईटी सेक्टर में रिसर्च एंड डेवलपमेंट, स्किल डेवलपमेंट में करते हुए इसे और विकसित किया जायेगा।

लीगल फ्रेमवर्क के माध्यम से यूजर्स का हैरेसमेंट (spam safety) को भी रेगुलेट किया जायेगा।

अपील करने हेतु Right Of Appeal का अधिकार दिया जाएगा।

क्या है विरोध की वजह:-
बिल के प्रावधान में सरकार द्वारा व्हाट्सएप जैसे ऐप्स के मैसेज को देश की संप्रभुता को ध्यान में रखते हुए आवश्यकता पड़ने पर पढ़े जा सकने की बात को लोगों द्वारा आड़े हाथों लिया है।
यूजर्स का कहना है की इससे उनकी निजता का उल्लंघन होगा।ज्ञात हो की कट्टू स्वामी केस द्वारा निजता के उल्लंघन को मौलिक अधिकार में शामिल किया गया है। ऐसे में बिल के इस प्रावधान का जमकर विरोध किया जा रहा है। 

इस बिल से संबंधित अपने सुझाव आप सरकार तक ऊपर लिखे मेल के माध्यम से 20 अक्तूबर तक प्रेषित कर सकते हैं।

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